दिल्ली व्यूरो
कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा की है. उक्त बातें रानिल विक्रमसिंघे ने एक समारोह के दौरान कही हैं. बता दें कि भारत ने सोमवार को श्रीलंका को एक डोर्नियर समुद्री टोही विमान उपहार में दिया जो द्वीप राष्ट्र को अपने जलक्षेत्र में मानव और मादक पदार्थों की तस्करी तथा अन्य संगठित अपराधों जैसी कई चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएगा. इसको लेकर रखे एक समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी मौजूद थे.
विक्रमसिंघे ने सोमवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध ‘नियति से वादा’ भाषण से प्रेरित हैं, जो भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त, 1947 को दिया गया था.उन्होंने कहा, ‘यह पंडित नेहरू द्वारा तय किया गया आगे का रास्ता दिखा रहा है. भारत ने इसे समझा और आज वह विश्व शक्ति बन रहा है, और यह अब भी उत्थान पर है – मध्य शताब्दी तक जब हम वहां नहीं हैं, तो आप एक शक्तिशाली भारत देख सकते हैं जो वैश्विक मंच पर प्रमुख भूमिका निभा रहा है.”
विक्रमसिंघे ने कहा कि नेहरू ने श्रीलंका को संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा बनवाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी और पूरा सहयोग दिया था. उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे वी कृष्ण मेनन ने विक्रमसिंघे के पिता की मदद की थी. विक्रमसिंघे ने कहा कि वह उभरते हुए श्रीलंकाई नेताओं को सलाह देना चाहेंगे कि वे अपने भारतीय सहयोगियों को अच्छी तरह से जानें.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ सहयोग के अन्य क्षेत्रों के परिणामों की तरह श्रीलंका की वायुसेना को डोर्नियर प्रदान करना प्रासंगिक है और समुद्री सुरक्षा की उसकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है. यह भारत की उसके मित्रों की शक्ति बढ़ाने की क्षमता का उदाहरण है.”
श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने अपने देश को डोर्नियर विमान उपहार में दिए जाने पर भारत का आभार व्यक्त किया और कहा कि इससे समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना और नौसेना के बीच सहयोग शुरू करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘यह समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना, श्रीलंकाई नौसेना के बीच सहयोग की शुरुआत है.’